Sunday 27 May 2012

नेपाल फिर राजनीतिक भंवर में


नेपाल फिर राजनीतिक भंवर में

काठमांड। नेपाल फिर राजनीतिक भंवर में फंस गया है। संविधान निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट से संविधान सभा को मिली समयसीमा रविवार मध्यरात्रि को खत्म हो गई। नए संविधान के मसौदे को लेकर राजनीतिक दल सहमत नहीं हो पाए। प्रधानमंत्री बाबूराम भंट्टराई के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने देर रात आपात बैठक के बाद राष्ट्रपति राम बरन यादव से संविधान सभा [नेपाल की संसद] को भंग करने की सिफारिश कर दी। नई संविधान सभा के गठन के लिए अब 22 नवंबर को चुनाव होगा। नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संविधान सभा का कार्यकाल बढ़ाने पर रोक लगा दी थी।
इससे पहले राजनीतिक दलों ने देर रात तक संविधान के मसौदे को लेकर चर्चा की, लेकिन वे किसी नतीजे पर पहुंचने में नाकाम रहे। बैठक के बाद माओवादी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा, 'संविधान सभा द्वारा अब नए संविधान का मसौदा संभव नहीं है।' शीर्ष राजनीतिक दलों के नेताओं ने संविधान सभा के अध्यक्ष से अलग से मुलाकात कर संभावित राजनीतिक संकट को टालने के तरीकों पर भी विचार किया। बैठक से बाहर निकलकर नेपाली कांग्रेस के बिमलेंद्र निधि ने कहा, 'अब दो ही विकल्प बचे हैं। आपातकाल घोषित कर संविधान सभा का कार्यकाल छह महीने और बढ़ा दिया जाए या संविधान सभा के नए चुनाव कराए जाएं।'
राजनीतिक संकट के बीच नेपाल में प्रदर्शनों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। सबसे ज्यादा विवाद इस बात को लेकर है कि राज्यों का गठन किस आधार पर हो और इनकी संख्या क्या हो। नेपाल में अलग-अलग समुदाय अपनी-अपनी मांगों को लेकर विरोध कर रहे हैं। प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई ने रविवार सुबह राष्ट्रपति रामबरन यादव से मुलाकात कर उन्हें ताजा स्थिति की जानकारी दी। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति ने भट्टराई से कहा था कि गतिरोध समाप्त करने के लिए संविधान के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। दरअसल, राज्यों के ढांचे को लेकर राजनीतिक दलों में गहरे मतभेद हैं। माओवादी और मधेशी फ्रंट एकल जाति के आधार पर राज्यों के निर्माण पर अड़े थे जबकि नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल गठबंधन बहुजाति और आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर राज्यों को संघबद्ध करने का समर्थन कर रहे थे।
नेपाल में वर्ष 2008 में आम चुनाव हुए थे। इसमें प्रचंड के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी [सीपीएन-एम] ने सबसे ज्यादा 220 सीटें जीती थीं। नेपाली कांग्रेस 110 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी। एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-मा‌र्क्सवादी लेनिनवादी [सीपीएन-यूएमएल] को 103 सीटें मिली थीं।